BA Semester-5 Paper-1 Physical Education - Athletic Injuries and Physiotherapy - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2805
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 3

प्राथमिक चिकित्सा

(First Aid )

प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।

अथवा
प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धान्त बताइये |
अथवा
प्राथमिक उपचार की परिभाषा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्राथमिक चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धान्त तथा खेलों के दौरान लगने वाली चोट पर किस प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा दी जायेगी, विस्तार से समझाइये |
अथवा
प्राथमिक चिकित्सा से क्या तात्पर्य है? विभिन्न खेलकूदों में कारित चोटों में दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

प्राथमिक सहायता

प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक मानव जीवन के अनेक क्षेत्रों में निरन्तर प्रगति व विस्तार करता चला आ रहा है। दूसरी तरफ देखा जाए तो उसकी यह प्रगति या विकास ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर चुका है कि व्यक्ति के साथ कहीं भी, कभी भी, कुछ भी घट सकता है, क्योंकि दुर्घटनाओं का कोई निश्चित समय व स्थान नहीं होता। आजकल सड़क पर यातायात बढ़ने, घरों में खाना बनाते समय गृहणियों के आग लगने की दुर्घटना तथा बिजली का झटका लगना आदि ऐसी दुर्घटनाएँ हैं जो व्यक्ति की आधुनिक सुविधाओं से जुड़ी हैं। इसी प्रकार पानी में बच्चों का डूबना, सर्प या जहरीले कीड़ों का काटना, खेल के मैदान में चोट लगना भी कुछ दैनिक जीवन की आवश्यकताओं से जुड़ी दुर्घटनाएँ हैं, जिसके कारण जीवन खतरों से घिरा हुआ है। ऐसे समय में आवश्यक नहीं कि डॉक्टर पास में ही हो। ऐसे समय पर घायल बच्चे या व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक सहायता की आवश्यकता होती है, नहीं तो जीवन खतरों में पड़ सकता है।

दुर्घटना घटने पर डॉक्टर के आने से पूर्व जो इलाज किया जाता है, उसे प्राथमिक सहायता कहते हैं। दूसरे शब्दों में आपातकाल के समय उपलब्ध सुविधा के अनुसार आपत्ति ग्रस्त व्यक्ति को प्रदान की गई सेवा को ही प्राथमिक सहायता कहते हैं। यह किसी दुर्घटना या अचानक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दी जाने वाली तात्कालिक तथा अस्थायी देख-भाल है। प्राथमिक सहायता के लिए उपलब्ध साधनों का अधिकतम और उचित प्रयोग करने का गुण चारित्रिक बल, समर्पण व प्रतिभा प्राथमिक सहायता की पूँजी है। प्राथमिक सहायता को परिभाषित करते हुए एच. जे. आटो कहते हैं, “प्राथमिक चिकित्सा में तात्कालिक चिकित्सा से अधिक और कुछ नहीं होना चाहिए। "

प्राथमिक सहायक से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह कोई इलाज या उपचार करेगा। वह तो उन मूलभूत सिद्धान्तों को क्रियान्वित करेगा जो प्राथमिक सहायता से सम्बन्धित हैं। प्राथमिक सहायता का उद्देश्य व्यक्ति को मृत्यु से बचाना है। दुर्घटना से बिगड़े हुए शरीर को अधिक बिगड़ने से तब तक बचाना है जब तक डॉक्टर की सेवाएँ उपलब्ध न हो जाएँ। इस संदर्भ में प्राथमिक सहायता के कुछ नियम (सिद्धान्त) हैं, जिनका पालन प्राथमिक सहायक के लिए अनवार्य है।

प्राथमिक सहायता का क्षेत्र - प्राथमिक सहायता के क्षेत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित तीन बातों का अध्ययन किया जाता है-

(1) रोग के लक्षणों का पता लगाना
(2) लक्षणों के आधार पर उपचार।
(3) रोग का अंतिम रूप से निपटारा करना।

(1) रोग के लक्षणों का पता लगाना - किसी भी बीमारी का उपचार करने से पहले रोग के लक्षणों का पता लगाना जरूरी है। लक्षणों के आधार पर ही बीमारी के स्वरूप को जाना जा सकता है, और इसी आधार पर उपचार करना संभव हो सकता है। अलग-अलग रोगों के अलग- अलग लक्षण होते हैं। जैसे मूर्छित होना, सूजन आ जाना, कंपकपी चढ़ना, नाक से खून आना, खून का जम जाना, सिर और गर्दन में भयंकर दर्द होना, उल्टी आना, दस्त लगना, अधिक प्यास लगना, अधिक भूख लगना इत्यादि।

(2) रोग का उपचार करना - लक्षणों का पता लगाने के बाद तुरंत ही उसका उपचार करना चाहिए, जिससे कि रोगी को अस्पताल पहुँचाने या डॉक्टर के घर आने तक उसकी दशा और अधिक बिगड़ने से रोकी जा सके। जैसे पेट में दर्द होने पर सोड़ा बॉयकार्ब देना, उल्टी और दस्त लगने पर जीवन रक्षक घोल देना, किसी जहरीले जानवर के काटने पर काटे गए स्थान से थोड़ा ऊपर जोर से पट्टी बाँधना, नाक से खून आने पर नीचे गर्दन करके लिटांना और गीली पट्टी सुंघाना आदि।

(3) रोग का निपटारा - रोग का अंतिम रूप से निपटारा करने के लिए आवश्यक है कि या तो रोगी को तुरंत अस्पताल पहुँचाया जाए, जहाँ उसका उचित इलाज हो सके या डॉक्टर को उसी स्थान पर उपचार के लिए बुला लिया जाए। माता-पिता तथा घर के अन्य सदस्यों को भी रोगी की तुरंत सूचना दे देनी चाहिए।

प्राथमिक सहायता के सिद्धान्त - प्राथमिक सहायता के कुछ ऐसे सिद्धान्त होते हैं, जिनका यदि समय पर पालन किया जाए तो बहुत सी दुर्घटनाओं के प्रकोप से बचने में सहायता मिल सकती है तथा जीवन को बचाया जा सकता है।

(1) डॉक्टर की जगह न ली जाए - प्राथमिक सहायक को याद रखना चाहिए कि वह डॉक्टर नहीं है, उसे डॉक्टर के कार्य या उत्तरदायित्व निभाने का कभी भी प्रयास नहीं करना चाहिए। उसे तो बिगड़ी हुई परिस्थिति को उस समय तक नियन्त्रित करना है जब तक डॉक्टर की सेवाएँ उपलब्ध न हो जाएँ।

(2) चोट के कारण का निवारण - यथासंभव शीघ्रता से चोट या दुर्घटना के कारण का निवारण करें या रोगी को उस कारण से दूर किया जाए ताकि क्षति अधिक न हो, जैसे यदि किसी को बिजली का झटका लगता है या वह बिजली के तार से जुड़ा हुआ है तो पहले सावधानीपूर्वक मरीज को इससे अलग करें और फिर प्राथमिक उपचार दें।

(3) भीड़ को दूर रखना चाहिए - दुर्घटना के समय भीड़ का इकट्ठा होना स्वाभाविक है तथा हर व्यक्ति चोटग्रस्त व्यक्ति को देखना चाहता है और इस प्रकार घायल व्यक्ति चारों ओर भीड़ से घिर जाता है, जिससे उसे खुली हवा नहीं लगती। इसी के साथ वह भीड़ को देखकर भी भयभीत हो जाता है तथा घबराने लगता है। इसलिए भीड़ को समझाकर व घायल की स्थिति का हवाला देकर दूर रखें ताकि घायल प्राथमिक सहायता के कार्य में सहायक की स्वयं भी सहायता कर सके।

(4) रक्त रोकना - प्राथमिक सहायता का यह सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण है कि यदि घायल का रक्त बह रहा है तो सबसे पहले उसे रोकने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि अधिक रक्त बहने से घायल का जीवन ख़तरे में पड़ सकता है। इसके लिए रक्त बहने वाले स्थान को कस कर किसी कपड़े से बाँधे तथा उस अंग को हृदय के स्तर से ऊपर रखना चाहिए ताकि रक्त संचार की गति कुछ धीमी रह सके।

(5) प्राथमिक सहायता के A, B, C का ज्ञान - प्राथमिक सहायता देने वाले को यदि इस सहायता की A, B, C का ज्ञान है तो तुरन्त इसको अमल में लाना चाहिए अर्थात् A से Air way (वायु का रास्ता ), B से Breathing (श्वसन) और C से Circulation ( रक्त संचार )।

(6) रोगी को विश्राम दिया जाए - घायल व्यक्ति को जहाँ तक हो सके आराम की अवस्था में रखने का प्रयास करें और उसे पूर्ण विश्राम करने दें। व्यर्थ के प्रश्न पूछकर या उसकी गलतियाँ निकाल कर उसे परेशान न करें।

(7) चेतना का निर्धारण करना - रोगी की सही दशा का निरीक्षण करने के बाद उसकी सही चेतना के स्तर का पता लगाएँ कि रोगी अर्ध चेतना में है, चेतन है या अचेतन अवस्था में है।

(8) अचेतन व्यक्ति को तरल पदार्थ न दें - यदि दुर्घटना में व्यक्ति अचेतन हो जाता है तो उसको कभी भी कोई तरल पदार्थ या पेय पदार्थ नहीं देना चाहिए, क्योंकि अचेतन अवस्था में पेय पदार्थ श्वास नली में चला जाता है जिसके कारण दम घुट सकता है और कभी-कभी मौत भी हो सकती है।

(9) स्थिति का अवलोकन - गम्भीर रूप से चोट वाले रोगी की स्थिति में आए परिवर्तनों पर ध्यान दें, विशेषकर निम्न पर नजर रखें-

(i) साँस लेने की दर व गहराई
(ii) नाड़ी की गति की दर व प्रकृति
(iii) रोगी के चेहरे का रंग
(iv) शरीर का तापमान
(v) कान, नाक व मुँह से रक्त का बहना।

(10) रोगी के घरवालों को तुरन्त सूचना देना - रोगी या घायल व्यक्ति द्वारा बताए गए टेलीफोन नम्बर पर या पते पर तुरन्त उसके घर वालों को सूचना भेजें, जिससे सही जगह की स्थिति व दूरी आदि के बारे में स्पष्ट जानकारी हो ताकि उन्हें पहुँचने में देरी न हो।

(11) सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना - दुर्घटना की वजह से घायल व्यक्ति डरा हुआ होता है और उसका मस्तिष्क ठीक से कार्य नहीं कर रहा होता। ऐसे में उसका भय दूर करने के लिए उसके साथ विनम्रता तथा सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। ताकि उसे विश्वास हो जाय कि वह ठीक हो जायेगा। कोई विशेष बात नहीं है। ऐसा व्यवहार घायल का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक है ताकि वह प्राथमिक सहायक को उसका इलाज करने में सहायता दे सकें।

उपरोक्त सिद्धान्तों के अनुसार सबसे पहले घायल व्यक्ति के गले का निरीक्षण कर लेना चाहिए, मुँह में कोई किसी वजह से रुकावट तो नहीं है। कई बार बेहोशी की वजह से गले में कफ रुक जाता है या कोई उल्टी आदि का फ्लुड गले में रह जाता है, जिससे उसके Airway में रुकावट आ सकती है। उसके बाद मरीज के श्वास का निरीक्षण करना चाहिए कि उसकी श्वसन क्रिया ठीक चल रही है या नहीं यदि ठीक नहीं है तो कृत्रिम सांस देना चाहिए। इसके बाद आता है C यानी Circulation यानी रक्त संचार। इसके लिए हम घायल की नब्ज का निरीक्षण करते हैं। नब्ज ठीक न हो या महसूस नहीं हो रही हो तो इसके लिए भी हम कृत्रिम सांस देते हैं। इसके लिए दोनों हाथों को दबाया जाता है और बार-बार दोहराते हैं।chauhan

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्य चोटों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- खेलों के दौरान चोटों की रोकथाम करने के सामान्य सिद्धान्त क्या हैं?
  3. प्रश्न- खेलों में चोट की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्यतः चोटों के दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
  5. प्रश्न- स्पोर्ट्स फिजियोथेरपी से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- खेल चिकित्सा विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है?
  7. प्रश्न- एथलेटिक चोटों से आपका क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  8. प्रश्न- ट्रॉमेट्रिक इंजरी से आप क्या समझते हैं? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सी चोटें आती हैं?
  9. प्रश्न- अवधि के आधार पर चोटें क्या हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  10. प्रश्न- ऐंठन (Cramp) से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- सनबर्न (Sunburn) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षण और होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये?
  12. प्रश्न- चोट लगने के क्या लक्षण होते हैं?
  13. प्रश्न- चोट लगने के जोखिम के प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  14. प्रश्न- खेल में चोट से क्या तात्पर्य है। इसके विभिन्न भेदों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- खेल चोटों के प्रकारों को स्पष्ट करते हुए डिसलोकेशन व स्प्रेन के कारण, लक्षण व उपचार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सामान्य खेल चोटों के उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- खेल में चोटों के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- मुख्य खेल चोटें कौन-सी हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- खेल चोटें पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- खेलों में चोटें क्या होती है?
  21. प्रश्न- स्नायुबंधन मोच से आप क्या समझते है? इसके लक्षण व निदान का वर्णन कीजिये?
  22. प्रश्न- मांसपेशिय तनाव से आप क्या समझते हैं? मांसपेशिय तनाव के कारण और निवारण से संक्षिप्त लेख लिखें।
  23. प्रश्न- टेण्डन और लिंगामेन्ट में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- कन्धे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों का वर्गीकरण कीजिये?
  25. प्रश्न- पीठ (पीछे) के तनाव से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- टेनिस एल्बो से आपका क्या अभिप्राय है? टेनिस एल्बो के लक्षण और निदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  27. प्रश्न- गोल्फर की कोहनी क्या है? इसके कारण, लक्षण और निदान पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?
  28. प्रश्न- टेनिस एल्बो और गोल्फर एल्बो में क्या अन्तर है?
  29. प्रश्न- "धावक का घुटना" से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों और उपचार को समझाइये?
  30. प्रश्न- पिंडलियों में दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण व लक्षणों का वर्णन कीजिये?
  31. प्रश्न- फफोले क्या हैं? इनसे बचाव के उपाय बताये?
  32. प्रश्न- छालों से आप क्या समझते हैं? छालों के कारण, लक्षण और बचाव के सामान्य उपायों को समझाइये?
  33. प्रश्न- रक्त गुल्म क्या है? इसके कारण और लक्षणों पर प्रकाश डालिये?
  34. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- प्राथमिक सहायक के गुणों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- एक प्राथमिक सहायता देने वाले के रूप में आप अपने मित्र की निम्न स्थितियों में कैसे सहायता करेंगे? (1) मोच (3) घाव (2) हड्डी का टूटना (अस्थि भंग) (4) सर्प दंश या साँप का काटना।
  38. प्रश्न- रक्त स्त्राव के बाह्य और आंतरिक कारणों पर प्रकाश डालिए। आप इसके लिए प्राथमिक सहायता कैसे देंगे? स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा में उपचार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए इनके आवश्यक उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा की परिभाषा एवं अर्थ स्पष्ट करते हुए एक अच्छे प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- 'प्राथमिक चिकित्सा' को परिभाषित कर उसके मुख्य घटकों का उल्लेख कीजिये तथा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में प्राथमिक चिकित्सा की अपरिहार्यता पर समालोचनात्मक मत प्रकट कीजिये।
  43. प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
  44. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- अस्थि भंग का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- अस्थि-विस्थापन पर टिप्पणी कीजिए।
  49. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |
  55. प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- लार्डोसिस तथा सपाट पाँव के कारणों का उल्लेख कीजिये तथा इन्हें दूर करने के लिए उपचारात्मक व्यायामों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
  62. प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
  63. प्रश्न- पीठ दर्द क्या है? पीठ दर्द क्यों होता है? इसके उपचार को सरल शब्दों में समझाये।
  64. प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- अनुचित मुद्रा से कौन-कौन से विकार उत्पन्न हो जाते हैं?
  66. प्रश्न- अनुचित मुद्राओं को कैसे सुधारें?
  67. प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
  68. प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
  69. प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- चोट पुनर्वास से आप क्या समझते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए। चोट पुनर्वास की विधियों पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- खेल चोट पुनर्वास में ठण्डी चिकित्सा (क्रायोथेरेपी) की तकनीक व प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- आर. आई. सी. ई. से आप क्या समझते है?
  73. प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
  74. प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
  80. प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
  81. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
  82. प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
  89. प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
  90. प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
  93. प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
  94. प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
  103. प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
  115. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  119. प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
  120. प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  121. प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  122. प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।

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